बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

​ योगमाया मंदिर : महरौली , दिल्ली

माँ जब बुलाती है तभी जा पाते हैं ! 

चलो बुलावा आया है
माता ने बुलाया है !!

ये शब्द हम हमेशा माँ वैष्णो देवी के द्धार जाने के लिए बोलते हैं लेकिन ​गाजियाबाद से मात्र 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महरौली , दिल्ली में देवी योगमाया के मंदिर तक पहुँचने में पूरे 4 महीनों का समय लग गया ! कभी कुछ काम लग गया कभी कुछ ! आखिर नवरात्रों के दिन में कुछ समय मिला और योगमाया मंदिर देखने निकल गया ! दोपहर बाद साढ़े तीन बजे जापानी भाषा की क्लास ख़त्म कर मूलचंद मेट्रो स्टेशन से केंद्रीय सचिवालय,  वहां से येलो लाइन की मैट्रो से साकेत पहुंचा ! साकेत उतरने का कारण ये था कि वहाँ मैट्रो स्टेशन से बाहर निकलकर बस मिल जाती हैं ! मालवीय नगर स्टेशन पर या हौज ख़ास में बस नही मिल पाती ! मिलती भी है तो पैदल चलना पड़ता है ! साकेत मेट्रो स्टेशन से बाहर आकर 427 नंबर महरौली जाने वाली बस पकड़ी ! मंदिर की एग्जेक्ट लोकेशन मालूम नही थी इसलिए बस कंडक्टर से एक बार कह दिया - भाई योगमाया मंदिर उतार देना ! वो तुरंत बोला - ये बस योगमाया मंदिर नही जायेगी ! पीछे एक स्कूल का बच्चा बैठा था - वो बोला , अंकल आप बैठे रहो ! ये उधर होकर ही जायेगी ! रोड से बिलकुल पास ही है ! बच्चे स्मार्ट होते हैं !! थोड़ी देर बाद बस जाने पहिचाने से रास्ते पर चल रही थी ! ऐसा लगा जैसे मैंने ये जगह देखी है पहले कभी ! अरे , ये तो कुतुबमीनार की तरफ की जगह है ! सब याद आ गया ! थोड़े दिनों पहले परिवार के साथ कुतुबमीनार गया था लेकिन तब योगमाया मंदिर का नाम भी नही सुना था ! दिल्ली ऐसे खूब घूमी है लेकिन कोई कहे कि मुझे फलां जगह जाना है तो मैं नही बता सकता ! कुतुबमीनार के बिलकुल पीछे के तरफ एक गोल सा चक्कर काट के बस निकलती है ! बस बिलकुल पीछे ही है योगमाया मंदिर ! इस रास्ते में आपको देश के बड़े बड़े फैशन डिज़ाइनर जैसे , जे.जे वलैया , मनीष पॉल , मनीष मल्होत्रा , ऋतू कुमार आदि के बुटीक मिल जाएंगे देखने को ! आपकी मर्जी है खरीदना चाहें तो खरीदें , मेरी हिम्मत और औकात नही होती इतने महंगे कपडे खरीदने की !!


ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्णा की बहन योगमाया का मंदिर दिल्ली में महाभारत कालीन पांच मंदिरों में से एक है ! इस मंदिर को ग़जनी ने तहस नहस कर डाला था लेकिन फिर हिन्दू राजा हेमू ने इसे फिर से बनवाया ! औरंगजेब के शासनकाल में इस मंदिर को मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था और इसके लिए एक आयताकार कमरा भी बना दिया गया था जो आजकल माता के वस्त्र भण्डार के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है ! ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को प्रारंभिक रूप में पांडवों ने बनवाया था लेकिन अब यहां घरों का इतना बड़ा जाल फ़ैल चूका है कि सिर्फ मंदिर ही रह गया है उस जमाने का !

ऐसा कहा जाता है कि एक बार अकबर के पुत्र मिर्ज़ा जहांगीर को कुछ परेशानी हो गयी तो उसकी माँ को एक रात सपना आया कि अगर तुम योगमाया मंदिर पर फूलों का पंखा अर्पित करोगी तो तुम्हारा पुत्र सुरक्षित और स्वस्थ हो जाएगा। और तब से इस मंदिर को और भी ज्यादा प्रसिद्धि मिलने लगी ! अकबर के ही समय में लाला सेठमल ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था ! और तब से ही फूल वालों की सैर शुरू हुई थी जो जहाज़ महल होकर गुजरती है ! !
महरौली बस स्टैंड पहुंचकर थोड़ा सा पीछे की तरफ लौटना पड़ता है योगमाया मंदिर के लिए ! सीधे हाथ पर बोर्ड लगा है "योगमाया मंदिर " और उस बड़े से गेट के दोनों तरफ सिंह की मूर्तियां भी हैं ! हाँ , एक बात और भी है ! महरौली बस स्टैंड के पास में ही अकबर के भाई आदम खान का मक़बरा भी है , जिसे मैं पहले देख चुका था इसलिए अब दोबारा नही गया ! दूर से देखने पर लग रहा था कि इस पर रेंनोवशन का काम चल रहा है ! आप जाना चाहें तो जाकर आ सकते हैं , एक जगह जाएंगे दो देख पायेंगे !

आज इतना ही ! फिर मिलते हैं जल्दी ही

नवरात्रों में हवन चलता रहता है
जय माँ अम्बे
जय माँ अम्बे













पिण्डी पूजन


फिर मिलते हैं जल्दी ही :

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