बुधवार, 24 जनवरी 2018

Chhota Imambada : Lucknow

लखनऊ की घुमक्कड़ी के किस्से को शुरू से पढ़ने के लिए यहां माउस चटकाएं या ऊँगली दबाएं !! 


बड़ा इमामबाड़ा देख चुके हैं , अब छोटा इमामबाड़ा भी देख ही लिया जाय। हालाँकि ये छोटा इमामबाड़ा उतना ज्यादा प्रसिद्द नहीं है , भगवान जाने क्यों ? लेकिन मुझे तो खूबसूरत लगा। छोटा इमामबाड़ा लखनऊ के यानि अवध के तीसरे नवाब साहब मुहम्मद अली शाह ने 1838 ईस्वी में बनवाया था। ये असल में नवाब साब का अपनी माँ के प्रति प्रेम का प्रतीक है। नवाब साहब ने अपनी माँ की कब्र के पास ही अपना भी मक़बरा बनवाया था। लोग शाहजहां की झूठी मुहब्बत के झूठे प्रतीक ताजमहल को मुहब्बत की निशानी कहते नहीं थकते जबकि वास्तव में मुमताज़ महल 14 वें बच्चे को जन्म देने के चक्कर में मरी और उसके मरने के बाद शाहजहां ने मुमताज़ की बहन से शादी कर ली , तो कहाँ है इसमें मुहब्बत ? कैसी मुहब्बत ? ये शब्द परम मित्र और ब्लॉगर श्री मुकेश पाण्डेय चन्दन जी के हैं !! ताजमहल प्रेम की नहीं बल्कि औरत पर होने वाले अत्याचारों और शाहजहां की वासना की निशानी है। अगर मुहब्बत के निशाँ देखने हैं तो लखनऊ के इमामबाड़े देखिये जहां आपको एक नवाब को अपनी प्रजा से मुहब्बत की निशानी मिलती है या फिर छोटा इमामबाड़ा देखिये जहां एक नवाब , अपनी माँ के प्यार को पाने के लिए उसकी कब्र के पास ही दफ़न हुआ। और अगर बिना बच्चों को जन्म दिए , माँ और संतान का प्यार , निःस्वार्थ प्रेम देखना है तो वृन्दावन (मथुरा ) के आदरणीया दीदी माँ ऋतम्भरा जी के वात्सल्य ग्राम हो आइये।

छोटा इमामबाड़ा क्रिस्टल और फानूस से सजाया गया है और इसे देखकर यूरोपियन टूरिस्ट इसे " पैलेस ऑफ़ लाइट्स " कहते थे। ये जो फानूस इसमें लगाए गए हैं ये बेल्जियम से मंगवाए गए थे। और हाँ , इसे भी नवाब साब ने अकाल पीड़ित लोगों को मदद करने के लिए बनवाया गया था। इसके गुम्बद और कंगूरे शानदार लगते हैं। अंदर नवाब साहब और उनके परिवार के अन्य लोगों की कब्र हैं। यहां दो मक़बरे ताजमहल की सी आकृति में बने हैं जो नवाब साब की बेटी और दामाद के बताये जाते हैं।


तो आज इतना ही , लिखने को बहुत कुछ नहीं है इसलिए फोटो देखते जाइये : 



















आगे चलेंगे : 

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